भारत की अर्थव्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। जिसके लिए कोई नेता या सरकार जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। और देश का आर्थिक ढांचा कमजोर होता दिखाई पड़ रहा है। सरकार का दावा विकास बताते हुए चुप नहीं हो रहा है तो उधर एक आमजन से उच्च वर्ग तक का तबका इस बात से परेशान है कि किसी भी व्यवसाय के बेहतर होने के संकेत नहीं मिल रहे है। इण्डस्ट्रीज हो या ट्रेडिंग व्यवसाय में भी दोनों की स्थिति अच्छी नहीं है। उधार तमाम सरकारी विभागों का कहना है कि विभागों जो राजस्व का टारगेट दिया गया है वह आसानी से पूरा हो रहा है। आखिर यह टारगेट कहां से आ रहा है और किस प्रकार टारगेट पूरा किया जा रहा है। उद्यमी एवं व्यापारी का कहना है कि कम्पनी के मासिक खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे हैं। ऊपर से महंगाई भी अपना पूरा काम कर रही है। हाल ही में बिजली विभाग द्वारा 40 प्रतिशत तक की दरों में वृद्धि की गयी है। सभी खर्चों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। और उद्योगों का टिक पाना कठिन हैं अनेक मीडियम स्केल के उद्योग बंद हो गये है। 2014 में भाजपा सरकार का गठन उसके बाद से खासकर प्रॉपर्टी व्यवसाय नहीं उठा, हालांकि कोई भी व्यवसाय अछूता नहीं रहा जिस पर डाउन की मार न पडी लेकिन आशा के साथ काम चलता रहा और 2019 में लोकसभा के चुनाव हो गये भारी मतों से भाजपा का चयन हुआ। पूरे देयश में खुशी का जश्न मनाया गया लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊपर उसके बाद ध्यान नहीं गया। ऑटो व्यवसाय की मंदी से देश हिल गया हजारों की संख्या में छोटे-छोटे उद्योगों के रूप में काम कर रहे वेल्डर बंदी के कगार पर आ गये अर्थात् लाखों रूपये माल प्रतिमाह देने वाली कम्पनी 3250 रूपये का ही माल श्रीराम पिस्टन/गाजियाबाद को दे पायी जो कि गाजियाबाद के 300 लघु उद्योगों के रीड की हड्डी है। तो अन्य सेक्टर में भी यह मंदी देखी जा रही है। उधार भारत सरकार विकास के दावे कर रही है। 2019 की लोकसभा की सरकार बने हुए भी लगभग 6 माह का कार्यकाल बीत चुका है लेकिन अर्थव्यवस्था पर कोई गौर नहीं किया गया। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी 10 प्रतिशत बिक रही है तो 90 प्रतिशत फेल है। तथा फ्लैट बनने के काम में भी अभी तक कोई तेजी नहीं आयी। ऐसा कोई बिल्डर नहीं है जिनके पास हजारों संख्या में फ्लैट खाली ना पड़े होउन फ्लैट का कोई एक्चुयल यूजर नहीं मिल रहा है। जो रहने के लिए ले रहा हो। अनावश्यक खरीद फरोख्त पर सरकार पहले ही सख्त है इसलिए वह लोग अपना पैसा नहीं लगा रहे हैं तो कैसे होगी देश की अर्थव्यवस्था मजबूत ! जब तक मार्केट में पैसा नहीं आयेगा देश के आर्थिक हालात तंग से ही गुजरें हमारी सरकार को मजबूत करने पर बल देना चाहिए। जिससे बेरोजगारी कम हो। रूपया मजबूत हो ओर व्यवसाय में आने वाले लोगों को प्राथमिकता दे जिससे उनकी रूचि व्यवसाय में बढ़े टैक्स की दरें कम हो और बैंकों से लोन लने की प्रक्रिया सरल होआज नेशनल बैंक ऋण नहीं दे पा रहे हैं। प्राइवेट बैंक ही लोन दे रहे हैं। जो कि देश के उद्यमियों एवं व्यापारियों के साथ सौतला व्यवहार किया जा रहा है। प्राइवेट बैंकों की पैनल्टी ब्याज दरें अन्य सभी खर्चे ज्यादा है। उधर जिन लोगों के सरकारी बैंकों में करंट एकाउन्ट है उनको लोन की वरीयता नहीं दी जा रही है। जिन कम्पनियों के करंट एकाउन्ट प्राइवेट बैंकों में है। उनको लोन प्राथमिकता दी जा रही है। यह भी भारतीय अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का ही एक षडयंत्र है। व्यवसाय देश के विकास रीड की हड्डी की भांति काम करता है। उस व्यवसाय को मजबूत बनाने में भी हम सब योगदान करें और अपने देश की अर्थव्यवस्था मजबूत कर सके- सम्पादक